आसमां ने बादलों से सिर्फ इतना कहा,
तेरे ही वज़ह से तो मेरी रौनक है यहाँ,
वर्ना मैं क्या और फिर मेरा है वज़ूद क्या?
2-
सिर्फ व सिर्फ एक धूल का गुबार हूँ मैं,
कितना ऊँचे और ऊँचे चढ़ते ही चलो,
मैं ख़ला हूँ और मेरा नाम है इक सिफ़र।
3-
परिंदे भी मेरी दूरी नाप ना पाएं कभी,
हवाई जहाज़ भी तो परवाज ले न सके,
मेरी ऊँचाइयों की सदा,मुझको पता नहीं।।
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