शनिवार, 22 जनवरी 2022

ग़ज़ल

आसमां ने बादलों से सिर्फ इतना कहा,

तेरे ही वज़ह से तो मेरी रौनक है यहाँ,

वर्ना मैं क्या और फिर मेरा है वज़ूद क्या?

2-

सिर्फ व सिर्फ एक धूल का गुबार हूँ मैं,

कितना ऊँचे और ऊँचे चढ़ते ही चलो,

मैं ख़ला हूँ और मेरा नाम है इक सिफ़र।

3-

परिंदे भी मेरी दूरी नाप ना पाएं कभी,

हवाई जहाज़ भी तो परवाज ले न सके,

मेरी ऊँचाइयों की सदा,मुझको पता नहीं।।

 

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