रविवार, 14 अप्रैल 2024

तेरा ख्याल आ गया

तेरा ख्याल आ गया , मन क्यों शरमा गया ,


एक अजीव नशा सा मेरी सोच में समा गया ।


तू कोन हैं में क्या जानू नस- नस कंप -कपा गया ,


ज़ज्वा- शयारी हैं यही लुभा गया शब्दों में समा गया।


कुछ पता नही ,कुछ ज़ज्वा नही कोई ख्याल नही,


पर किसी का मौहब्ते- व्यान दिल को रिझा गया।


शेरो-शायरी सव कोरी भावनाओ की खेल हैं ,


पर दर्द और रिश्तो का कुछ हद तक लगता सुमेल हैं ।


रेखा.... १६अप्रिल२०१० समय १२:३०अम म.इ अबक रेखा @ गनेल.com

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