मां देवी चंद्रघंटा, तू अति परम शांति दायक।
तेरी आराधना मां, है जन जन सुखदायक।
माथे तेरे मां, घंटा आकार सा अर्धचंद्र सोहे।
तू ही कल्याणकारी मां, तू ही फल दायक।।
दसों हाथ तेरे मां, अस्त्र-शस्त्र से विभूषित।
सोने सा रूप तेरा देख, होते सभी चकित।
तेरे घंटे जैसी ध्वनि से, दानव दैत्य कांपते।
है सिंह पर सवार,मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत।।
तेरी कृपा से हो, साधक को अलौकिक दर्शन।
करती है मां तू ही, मन वचन कर्म का समर्थन।
तेरी आराधना से होता है, विनम्रता का विकास।
तेरी वीरता निर्भयता के आगे, भागे दूर दुष्टजन।।
तुझमें मां चंद्रमा की शीतलता, भरा ज्ञान प्रकाश।
गला तेरा सुशोभित रहे, सफेद फूलों से अधिकांश।
तेरे वंदन से मन को मिले, सुख शांति का आभास।
करती है मां तू ही, आसुरिक शक्तियों का विनाश।।