बुधवार, 12 नवंबर 2025
सोमवार, 14 जुलाई 2025
Geet
गीत-
ऊपर उठे जो राग से,
करते
सदा जग का भला।
है शिव वही
संसार में, सब दूर करते हैं बला।।
है सर्पमाला कंठ
में, मस्तक बिराजे चंद्रमा।
मृगछाल पर बैठे
सदा, नित पास रहती है रमा।।
कलकल बहे गंगा
सदा, मन मोहती है हर कला।
है शिव वही
संसार में, सब दूर करते हैं बला।।
शंकर कहो या शिव
कहो, कल्याण जग का वे करे।
इस सृष्टि के
पालक वही, संताप सबका वे हरे।।
जो नाम जपता शिव
सदा, फिर कौन उसको है छला।
है शिव वही
संसार में, सब दूर करते हैं बला।।
काशी धरा है
पावनी, होती सदा जयकार है।
जलधार सावन में
चढ़ा, मानें तुम्हें आधार है।।
'हिम्मत' झुकाए
शीश ये, कुंठा सभी मेरी जला।
है शिव वही
संसार में, सब दूर करते हैं बला।
बढ़ती जाती है #उमस, जलता है अब गात।
निश्चित इसको
मानिये ,होगी अब बरसात॥
होती नित #बरसात
है, शुरू हुआ आषाढ।
टूट रहे तटबंध
हैं, आयी भारी बाढ़॥
#मेघदूत ने की कृपा, बरसाया जलधार।
धरा समेटे हर्ष
से, आंचल आज पसार॥
बागों में झूले
लगे, करे पपीहा शोर।
#कजरी के संगीत
से, मन में उठे हिलोर॥
#हरियाली बेजोड़
है, बाग नाचता मोर।
कजरी गाती है
सखी, कहाँ छुपे चितचोर॥
